मलेरिया की खोज कैसे हुई?

Dear Readers,

हम सभी को पता है कि मलेरिया मच्छर के काटने से होता है, लेकिन अब आपके मन में एक सवाल आया होगा कि यार हमें कभी न कभी कोई मच्छर तो काट ही लेता है। फिर भी हमें मलेरिया क्यों नहीं होता है, तो well इसका जवाब यह है कि मलेरिया हर मच्छर के काटने से नहीं होता है। यह तो केवल बीमारीवाले मच्छर के काटने से ही होता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हमलोग मलेरिया के इतिहास, इससे जुड़ी सामान्य जानकारी और जागरूकता के बारे में जानेंगे, तो चलिए इस आर्टिकल को शुरू करते हैं।

History of Malaria in hindi

मलेरिया क्या होता है..?
मलेरिया एक प्रकार का बुखार होता है, जो सर्दी लगकर आता है। इसके मरीज को रोजाना या एक दिन छोड़कर अगले दिन तेज बुखार आता है। यह मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। इस मादा एनोफिलीज मच्छर के अंदर प्लाजमोडियम नामक परजीवी पाये जाते हैं, जो मच्छर के काटने से हमारे रक्त में फैल जाते हैं और फैलने के चार या पांच दिन बाद हमारे शरीर में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।

मलेरिया की खोज कैसे हुई..?
मलेरिया के खोज की कहानी बहुत ही दिलचस्प और मजेदार है। हमारे प्यारे वैज्ञानिक डाॅ रोनाल्ड राॅस ने ही मलेरिया फैलाने वाले मच्छर मादा एनोफिलीज की खोज की थी। इसके लिए इन्हे December, 1902 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार भी मिला। मलेरिया फैलाने वाले मच्छर मादा एनोफिलीज की खोज का किस्सा बिलकुल बच्चों की शरारतों की तरह ही बड़ा मजेदार और दिलचस्प है। डाॅ रोनाल्ड राॅस ने डाॅक्टरी की पढ़ाई की थी, लेकिन इनकी दिलचस्पी कहानियाँ पढ़ने, कविता लिखने और संगीत में थी। खाली समय में डाॅ रोनाल्ड राॅस यही सब enjoy किया करते थे।

मादा एनोफिलीज मच्छर के खोज की कहानी प्यारे वैज्ञानिक डाॅ रोनाल्ड राॅस के जुबानी, उस समय मलेरिया के कारण अनेक लोगों की मौत होती थी। यह बीमारी बारिश और दलदलवाले इलाकों में ज्यादा होती थी। कुछ लोगों का मानना था कि गंदगी में कुछ जहरीली गैस होती होगी, जिससे यह बीमारी फैलती है। एक बार एक डॉक्टर ने मलेरिया के मरीज के खुन में माइक्रोस्कोप से बहुत छोटे-छोटे बारीक जीवाणु देखे थे, लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि ये जीवाणु खून में कैसे पहुंचते होंगे। उस समय मेरे विज्ञान गुरु ने अंदाजा लगाया और कहा, मुझे लगता है शायद मलेरिया मच्छर से ही फैलता है। इसकी जांच करने के लिए मैं दिन-रात मच्छरों के पीछे ही पड़ गया। हम एक-एक मच्छर के पीछे बोतल लेकर दौड़ते, फिर मलेरिया के मरीजों को मच्छरदानी में बैठाकर उन मच्छरों से कटवाते। एक मच्छर को अपना खून चुसवाने के लिए मरीज को कुछ पैसा मिलता। एक बार मैं खुद मलेरिया का शिकार हो गया। माइक्रोस्कोप पर झुक कर बारीकियां देखते-देखते शाम तक आंखें जैसे धुंधली-सी हो जाती थी। इतनी गर्मी थी, फिर भी पंखा की मदद नहीं ले सकते थे, क्योंकि वहां से मच्छर उड़ जाते। अबतक माइक्रोस्कोप में इतना सब करने के बावजूद कुछ हाथ नहीं लगा था। एक दिन अचानक से किस्मत ने साथ दे दिया। हमने कुछ मच्छर पकड़े, जो देखने में थोड़े अलग तरह के थे। इनका रंग भूरा था और पंख छींटेदार थे। उसमें से एक मच्छर के पेट में देखते-देखते कुछ काला-सा दिखा। जांच करने से पता चला कि वे छोटे-छोटे जीवाणु बिलकुल वैसे ही थे, जैसे हमने मलेरिया के मरीजों के खुन में देखे थे। उसी से हमें यह सबूत मिले पाया कि मच्छर से ही मलेरिया फैलता है और उस मच्छर का नाम 'मादा एनोफिलीज' रखा गया। इस प्रकार मलेरिया फैलाने वाले मच्छर मादा एनोफिलीज की खोज हुई।

मलेरिया कैसे फैलता है..?
जैसा कि हम सब जानते है कि मलेरिया एक संक्रामक रोग है। जब संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, तो वह अपने लार के साथ उस व्यक्ति के रक्त में मलेरिया परजीवियों जैसे कि प्लाजमोडियम वाइवेक्स को पहुंचा देती है और काटने के चार-पांच दिन बाद व्यक्ति मलेरिया रोग से ग्रस्त हो जाता है। मलेरिया फैलने का दुसरा माॅडल जब असंक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटती है, तो रोगी के खून के साथ मलेरिया परजीवी को भी चुस लेती है और 12 से 14 दिनों के भीतर ये भी संक्रमित होकर मलेरिया फैलाने लगती हैं। इस तरह एक मलेरिया रोगी से यह रोग कई लोगों में compounding की तरह फैलता जाता है।

मलेरिया रोग के लक्षण क्या-क्या हो सकते हैं..?
मलेरिया से ग्रसित मरीज में ये निम्न लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होने लगते हैं।
  • सर्दी लगकर बुखार आना।
  • इसके मरीज को रोजाना या एक दिन छोड़कर अगले दिन तेज बुखार आना।
  • शरीर में थकान, सरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी आना और बेहोशी का होना इत्यादि।
  • एनीमिया, त्वचा की पीली रंग की विकृति का होना।

मच्छर से बचने के लिए कुछ आसान उपाय :
मच्छरों से बचने के लिए अपने घर के आसपास सफाई का ध्यान रखें और निचे बताये गये बातों को भी ध्यान से follow करें।
  • आस-पास गंदे पानी जमा न होने दें और हो सके तो गड्ढों को भर दें।
  • पानी के वर्तन, टंकी और कूलर इत्यादि को साफ रखें और हफ्ते में एक बार जरूर सुखायें।
  • सोते समय हमेशा अच्छे मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास जमें हुए गंदे पानी में मिट्टी तेल का छिड़काव करें, क्योंकि इससे मच्छर के लार्वा पानी में डुबकर मर जाते हैं।

मलेरिया से संबंधित कुछ रोचक तथ्य :
यहां नीचे मैं आपको मलेरिया से संबंधित कुछ रोचक जानकारी के बारे में बताऊंगा।
  • क्या आपको पता है, मलेरिया शब्द इटालियन भाषा के शब्द 'माला एरिया' से बना है, जिसका अर्थ बुरी हवा होता है।
  • मलेरिया को दलदली बुखार (Marsh fever) भी कहते हैं।
  • मलेरिया रोग मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलता है। मलेरिया के जीवन चक्र के दो प्रवाह होते हैं, जिनसे यह रोग बहुत तेजी से फैलता है।
  • मलेरिया परजीवी जीवाणु के वजह से फैलते हैं, जो इतने छोटे होते है कि उन्हें सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है।
  • प्लाजमोडियम वाइवेक्स और प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम को ही मुख्य रुप से रोग फैलाने के लिए जाना जाता है।
  • जब संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है, तो वह अपने लार के साथ उस व्यक्ति के रक्त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देती हैं और संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने के लगभग कुछ ही दिन बाद वह व्यक्ति मलेरिया रोग से ग्रस्त हो जाता है।

Conclusion ;
Finally, अगर आप में कुछ कुछ जानने की ललक और मेहनत हो, तो आप अपने सारे सवालों के जवाब पा सकते हैं और एक सफल व्यक्ति भी बन सकते हैं। अगर यह आर्टिकल आपको थोड़ा-बहुत भी अच्छा लगे तो इस आर्टिकल को दूसरों के साथ share करके उन्हें भी पढ़ने का एक मौका जरुर दें और अंत में यह आर्टिकल पढ़ने के लिए शुक्रिया।

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